चुनाव पर व्यंग्य चित्र – राजनीति के प्रलोभन और जुगाड़ पर आधारित इलस्ट्रेशन

वादों की शहनाई

जैसे ही आचार संहिता की घोषणा होती है, नेता मौन साध लेते हैं—मानो तपस्या में लीन साधु हों। पर यह तपस्या सत्ता तक पहुँचने का ‘प्रवेश यज्ञ’ होती है। लेकिन जैसे ही चुनावी बिगुल बजता है, वही मौन माइक पकड़ लेता है और शोर का तीर्थ आरंभ हो जाता है। हर गली में मंच, हर…

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