आधी धूप, आधी छाँह और आधी चादर का न्याय
आगरा का राजदरबार उस दिन भी वैसे ही भरा हुआ था, जैसा वह प्रतिदिन रहता था। संगमरमर की शीतल फर्श पर दूर-दूर तक दरबारियों की पंक्तियाँ सजी थीं और सिंहासन पर बादशाह अकबर गंभीर मुद्रा में बैठे हुए राजकार्य देख रहे थे। तभी द्वार पर हलचल हुई।एक थका-हारा किसान फटे वस्त्रों में दरबार के भीतर…