✍️ बाबा नागार्जुन : जनकवि की कलम, जो व्यंग्य भी थी और वेदना भी
(जन्म विशेषांक – 30 जून 1911)लेखक – कुन्दन समदर्शी हर काल में कुछ कवि केवल शब्दों के साधक नहीं होते — वे समय के साहसी साक्षी होते हैं।बाबा नागार्जुन ऐसे ही जनकवि थे, जिनकी कविता ने साहित्य को सजाने के बजाय समाज को झकझोरने का कार्य किया।उनकी कविता में भूख की हूक है, क्रांति की…