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दो बैलों की कथा

लेखक – मुंशी प्रेमचंद झुरी के पास दो बैल थे, जिनका नाम हीरा और मोती था। दोनों बैल बहुत ही हट्टे – कट्टे और आकर्षक थे, काम करने में भी वो बहुत ही फुर्तीले थे। काफी समय से साथ रहते रहते हीरा और मोती अच्छे दोस्त बन गए थे, वो एक ही नाद से चारा…

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काबुलीवाला

लेखक – रवीन्द्रनाथ टैगोर  मेरी पाँच बरस की छोटी लड़की मिनी क्षण-भर भी बात किए बिना नहीं रह सकती। जन्म लेने के बाद भाषा सीखने में उसने सिर्फ़ एक ही साल लगाया होगा। उसके बाद जब तक वह जगी किंतु मैं ऐसा नहीं कर पाता। मिनी का चुप रहना मुझे इतना अस्वाभाविक लगता है कि…

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यमलोक की तकनीकी भूल

एक बार, शायद दीपावली के कुछ ही दिन बाद की बात होगी।तारीख़ अब ठीक-ठीक याद नहीं,पर जो हुआ, वह यमलोक के इतिहास में दर्ज हो गया —“यमलोक की तकनीकी भूल” के नाम से। गोवर्धनपुर का एक आदमी था — गिरधारी।सीधा, ईमानदार, और इतना विनम्र कि उसकी भलमनसाहतगाँव वालों को असहज कर देती थी।वह कभी किसी…

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निराला का चित्र

महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ – जीवन, रचनाएँ और साहित्यिक योगदान

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ आधुनिक हिंदी साहित्य के ऐसे महत्त्वपूर्ण कवि थे जिन्होंने कविता को छंदों की परंपरागत सीमाओं से मुक्त कर उसे जीवन के यथार्थ, सामाजिक संघर्ष और मानव-पीड़ा की अभिव्यक्ति बना दिया। उनमें जीवन के कठिन यथार्थ, सामाजिक संघर्षों और दलित-शोषित वर्ग की पीड़ा का सजीव चित्रण किया |उनकी कविताओं में ओज और करुणा,…

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“प्रेमचंद: हिंदी कथा-साहित्य के युगपुरुष”

जब-जब हिंदी साहित्य की चर्चा होती है, तब-तब प्रेमचंद का नाम श्रद्धा, सम्मान और आदर के साथ लिया जाता है।उनका काल हिंदी कथा-साहित्य का स्वर्णयुग माना जाता है।वे केवल एक कथाकार या उपन्यासकार ही नहीं, बल्कि यथार्थ के महामार्ग पर चलने वाले एक महामानव थे, जिन्होंने समाज में व्याप्त दुःख, अन्याय और विषमता को शब्दों…

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“दशहरा और गांधी जयंती: सत्य की दो दिशाएँ”

दशहरा — वह विजय पर्व,जो हमें याद दिलाता है कि कभी एक युग में सत्य ने असत्य पर विजय पाई थी,धर्म ने अधर्म को परास्त किया था,और मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरणों से रामराज्य की स्थापना हुई थी।जब श्रीराम ने रावण का वध किया,तो केवल एक राक्षस नहीं,बल्कि अहंकार, द्वेष, नफरत और छल का साम्राज्य…

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जीवन में दृष्टिकोण का महत्व

कहते हैं, चश्मे का रंग तय करता है कि दुनिया कैसी दिखेगी। वही आँखें, वही दृश्य, वही परिस्थितियाँ — पर दृष्टि का रंग बदलते ही संसार का अर्थ बदल जाता है। यही जीवन का रहस्य है — हम जिस दृष्टिकोण से संसार को देखते हैं, वही दृष्टिकोण हमारे सुख-दुःख, सुंदरता-कुरूपता और आशा-निराशा का निर्धारण करता…

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रामधारी सिंह दिनकर का चित्र

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय

हिंदी साहित्य में जब भी ओज, शौर्य और राष्ट्रीय चेतना की चर्चा होती है, तो सबसे पहले जिस नाम की स्मृति कौंधती है, वह है रामधारी सिंह ‘दिनकर’। वे ऐसे कवि थे जिन्होंने साहित्य को केवल सौंदर्य का माध्यम नहीं रहने दिया, बल्कि उसे समाज और राष्ट्र की चेतना से जोड़ा। उनकी कविताओं में संघर्ष…

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हिन्दी दिवस

हिंदी दिवस : राष्ट्र के आत्मा का स्वर

भारत की धड़कन उसकी भाषाओं में बसती है, और उनमें भी हिंदी वह धारा है जो उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक भारत को एक सूत्र में बाँधती है। यह भाषा केवल संप्रेषण का साधन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रीय चेतना की जीवनरेखा है। संस्कृत की पवित्र धारा से बहती हुई हिंदी…

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इंतिहान लिख दूँ

जिंदगी के इम्तिहान

एक सुनहरी सुबह की कोई शाम लिख दूँ,ठोकर खाकर जो गिरा, वो अंजाम लिख दूँ।जज़्बातों के भँवर में ऐसे उलझा हूँ, यारो,चलो ज़िंदगी के सारे इम्तिहान लिख दूँ। जो सीखा है हमने अपनी तन्हाइयों में,उस हर सफ़े पर अपना पैग़ाम लिख दूँ।कभी सन्नाटों ने दिया हौसला मुझको,कभी आंधियों में खुद ही सँभाला खुद को। अब…

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