अतीत की छाया का चित्र

अतीत की छाया

कभी-कभी हम अपने वर्तमान से असंतुष्ट हो उठते हैं।हम शिकायत करते हैं कि जीवन वैसा क्यों नहीं जैसा हमने चाहा था।कभी भाग्य पर, कभी नियति पर, कभी किसी अदृश्य शक्ति पर दोष मढ़ते हैं।परंतु सच यह है कि हमारा आज न किसी ईश्वर की मनमर्ज़ी है, न किसी भाग्य की दुर्घटना —यह तो हमारे ही…

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जीवन और संबंधो का प्रतीकात्मक दृश्य

जीवन और संबंध

मनुष्य का जीवन संबंधों के ताने-बाने में बुना हुआ एक विस्तृत गलीचा है—रंगों, ध्वनियों और स्मृतियों से भरा हुआ। यह गलीचा तभी अर्थपूर्ण हो उठता है जब इसके धागे प्रेम, भरोसे और सहजता से पिरोए गए हों। संबंधों का महत्व मनुष्य की मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक उन्नति में उतना ही अनिवार्य है जितना श्वास का…

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यमलोक की तकनीकी भूल

एक बार, शायद दीपावली के कुछ ही दिन बाद की बात होगी।तारीख़ अब ठीक-ठीक याद नहीं,पर जो हुआ, वह यमलोक के इतिहास में दर्ज हो गया —“यमलोक की तकनीकी भूल” के नाम से। गोवर्धनपुर का एक आदमी था — गिरधारी।सीधा, ईमानदार, और इतना विनम्र कि उसकी भलमनसाहतगाँव वालों को असहज कर देती थी।वह कभी किसी…

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जीवन में दृष्टिकोण का महत्व

कहते हैं, चश्मे का रंग तय करता है कि दुनिया कैसी दिखेगी। वही आँखें, वही दृश्य, वही परिस्थितियाँ — पर दृष्टि का रंग बदलते ही संसार का अर्थ बदल जाता है। यही जीवन का रहस्य है — हम जिस दृष्टिकोण से संसार को देखते हैं, वही दृष्टिकोण हमारे सुख-दुःख, सुंदरता-कुरूपता और आशा-निराशा का निर्धारण करता…

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📝 सेवक – एक लोकतांत्रिक मिथक

✍️ कुन्दन समदर्शी जब कोई नेता मंच से गरजकर कहता है – “मैं जनता का सेवक हूँ!”,तो ऐसा प्रतीत होता है मानो सिकंदर खुद कह रहा हो – “मैं जूते सिलने आया हूँ!”यह कथन जितना आदर्शवादी और मधुर सुनाई देता है,व्यवहार में उतना ही विरोधाभासी और विडंबनापूर्ण मालूम होता है। आज के नेताओं की ज़ुबान…

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रामचन्द्र शुक्ल का चित्र

कविता क्या है?

✍️ लेखक — आचार्य रामचंद्र शुक्ल मनुष्य अपने भावों, विचारों और व्यापारों के लिए दिए दूसरों के भावों, विचारों और व्यापारों के साथ कहीं मिलता और कहीं लड़ाता हुआ अंत तक चला चलता है और इसी को जीना कहता है। जिस अनंत-रूपात्मक क्षेत्र में यह व्यवसाय चलता रहता है उसका नाम है जगत्। जब तक…

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“आचार संहिता लागू है – कृपया विकाश न करें “

हर देश में पर्व मनाए जाते हैं —कहीं दिवाली की दीयों से उजाला होता है, कहीं ईद की सेवइयाँ मिठास घोलती हैं,कहीं क्रिसमस के पेड़ सजते हैं, तो कहीं होली के रंग उड़ते हैं। हर राष्ट्र अपने-अपने त्योहारों में मग्न होता है —कभी धर्म के नाम पर, कभी परंपरा के, और कभी छुट्टी के बहाने।…

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