चेहरे जिंदगी के
चेहरे जिंदगी के – यह हिंदी कविता जीवन की दोहरी भावनाओं, हँसी और खामोशी, उजाले और अंधेरे के बीच झूलते अनुभवों को शब्द देती है। पढ़िए MyHindagi.com पर।
शब्द मेरे साथी हैं, खामोशी मेरे गुरु
चेहरे जिंदगी के – यह हिंदी कविता जीवन की दोहरी भावनाओं, हँसी और खामोशी, उजाले और अंधेरे के बीच झूलते अनुभवों को शब्द देती है। पढ़िए MyHindagi.com पर।
एक सुनहरी सुबह की कोई शाम लिख दूँ,ठोकर खाकर जो गिरा, वो अंजाम लिख दूँ।जज़्बातों के भँवर में ऐसे उलझा हूँ, यारो,चलो ज़िंदगी के सारे इम्तिहान लिख दूँ। जो सीखा है हमने अपनी तन्हाइयों में,उस हर सफ़े पर अपना पैग़ाम लिख दूँ।कभी सन्नाटों ने दिया हौसला मुझको,कभी आंधियों में खुद ही सँभाला खुद को। अब…
✍️-कुन्दन समदर्शीसमकुन्दन समदर्शीदर्शीन् समदर्शी संघर्षों की धूप देखी है,ऐ ज़िंदगी…कितने ज़ख़्मों के निशां अब भी हैं सीने पर। ये ज़ख़्म…जो अबचीखते नहीं,बस चुपचापसीने की तहों मेंकुछ गहरी सलवटों-से पड़े हैं,जिन्हें समय की उँगलियों नेबस सहलाया – सुलझाया नहीं। माथे की लकीरेंअब इबारत नहीं रचतीं,वे बसअनकहे स्वप्नों के अस्फुट मानचित्र हैं—जिन्हें वक़्त ने देखा भी,पर कभी…
✍️ कुन्दन समदर्शी कुचल दिए कुछ प्रश्न थे,जो चीखते थे मौन में।कुछ उत्तर थे भीड़ के,जो दब गए समय के शोर में। वेदना लिपटी है मुस्कानों में,जैसे राख में बुझी चिंगारी।कोई देखे तो कह दे — अभिनय है,कोई सुने तो कहे — लाचारी। संवेदना का बाज़ार है,दया यहाँ दामों में बिकती है,आँसू भी अब डिब्बों…
भूमिका:हर युग की क्रांति में शोर नहीं होता — कभी एक मौन ही होता है जो समय को जगा देता है। यह कविता उन खामोश आंदोलनों, लेखनी की ताकत, और आंतरिक ज्वालाओं को समर्पित है, जो बिना नारे, बिना बगावत के प्रतीक बन जाती हैं। हर काम शोर मचाकर नहीं होता,कुछ काम ख़ामोशी कर जाती…