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नर हो, न निराश करो मन को

✍️ मैथिलीशरण गुप्त नर हो, न निराश करो मन कोकुछ काम करो, कुछ काम करो जग में रह कर कुछ नाम करोयह जन्म हुआ किस अर्थ अहो समझो जिसमें यह व्यर्थ न होकुछ तो उपयुक्त करो तन को नर हो, न निराश करो मन कोसँभलो कि सुयोग न जाए चला कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भलासमझो…

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